!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
वन, बाग, बगीचे, फूलों में
मस्ती, सावन के झूलों में
रिमझिम बारिश की पानी में
कल-कल सरिता की रवानी में
मैं ढूंढ रहा हूँ
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ
मठ, मंदिर और देवालय में
घंटों की गूंज, शिवालय में
दीपक के रश्मि उजालों में
गीता को समझने वालों में
मैं ………….
………………..
आरती के,मंत्र के बोलों में
भक्ति, गुरुकुल, स्कूलों में
नभ,सूरज,चाँद,हवाओं में
बिजली,ध्वनि,मेघ,घटाओं में
मैं …………
………………….
काली और गोरी सूरत में
पत्थर, माटी की मूरत में
उड़ते धूलों के कण-कण में
सुबह-शाम,पल हर क्षण में
मैं …………
…………………
प्यासे नयनों की ज्वाला में
मोती, मनके की माला में
तुलसी,पीपल,वट,वृक्षों में
पर्वत श्रृंखला के दृश्यों में
मैं ………..
………………….
काशी, मथुरा, वृंदावन में
साधु,संतों के प्रवचन में
चतुर, मूर्ख अरु ज्ञानी में
दादा-दादी की कहानी में
मैं ढूंढ रहा हूँ
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)