Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2021 · 1 min read

मैं ईमानदार था!

शीर्षक – मैं ईमानदार था!

विधा – कविता

परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़, सीकर ,राजस्थान
मो. 9001321438

मैं ईमानदार था
आगे था पंक्ति में,
पर्दा उठ गया झट
ईमानदारी का झीना
तब पंक्ति में पीछा था।
हर ईमानदारी पंक्ति में
हर बार आगे होती है।
ईमानदारी पंक्ति में पीछे
होते ही ध्वस्त हो जाती।

झूठा भी था तब मैं
अपनी ही बात करता
था अकेला विचार पथ।
बना सत्यवादी हरिश्चंद
कही लोगों की झूठ बात
घिर गया भारी भीड़ से
लोकप्रिय झूठ जो है साथ
सत्य बिखेर देता सब
झूठ चमका देता किस्मत?

Language: Hindi
1 Like · 203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3114.*पूर्णिका*
3114.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
एक मशाल जलाओ तो यारों,
एक मशाल जलाओ तो यारों,
नेताम आर सी
पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
पिता,वो बरगद है जिसकी हर डाली परबच्चों का झूला है
शेखर सिंह
■ बेहद शर्मनाक...!!
■ बेहद शर्मनाक...!!
*प्रणय प्रभात*
देह खड़ी है
देह खड़ी है
Dr. Sunita Singh
पति
पति
लक्ष्मी सिंह
फ़ितरत
फ़ितरत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अंग्रेजों के बनाये कानून खत्म
अंग्रेजों के बनाये कानून खत्म
Shankar N aanjna
*** चोर ***
*** चोर ***
Chunnu Lal Gupta
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
मां की दूध पीये हो तुम भी, तो लगा दो अपने औलादों को घाटी पर।
Anand Kumar
कोई अपनों को उठाने में लगा है दिन रात
कोई अपनों को उठाने में लगा है दिन रात
Shivkumar Bilagrami
"दिल में"
Dr. Kishan tandon kranti
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आखिरी वक्त में
आखिरी वक्त में
Harminder Kaur
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
अश्रु (नील पदम् के दोहे)
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
*याद आते हैं ब्लैक में टिकट मिलने के वह दिन 【 हास्य-व्यंग्य
*याद आते हैं ब्लैक में टिकट मिलने के वह दिन 【 हास्य-व्यंग्य
Ravi Prakash
बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
चांद मुख पे धब्बे क्यों हैं आज तुम्हें बताऊंगी।
चांद मुख पे धब्बे क्यों हैं आज तुम्हें बताऊंगी।
सत्य कुमार प्रेमी
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
Vishal babu (vishu)
किरायेदार
किरायेदार
Keshi Gupta
बेपर्दा लोगों में भी पर्दा होता है बिल्कुल वैसे ही, जैसे हया
बेपर्दा लोगों में भी पर्दा होता है बिल्कुल वैसे ही, जैसे हया
Sanjay ' शून्य'
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
छन्द- वाचिक प्रमाणिका (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी – 12 12 12 12 अथवा – लगा लगा लगा लगा, पारंपरिक सूत्र – जभान राजभा लगा (अर्थात ज र ल गा)
Neelam Sharma
सूरज नमी निचोड़े / (नवगीत)
सूरज नमी निचोड़े / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
लाल दशरथ के है आने वाले
लाल दशरथ के है आने वाले
Neeraj Mishra " नीर "
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
खुश होना नियति ने छीन लिया,,
पूर्वार्थ
ड़ माने कुछ नहीं
ड़ माने कुछ नहीं
Satish Srijan
चुलबुली मौसम
चुलबुली मौसम
अनिल "आदर्श"
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
Indu Singh
Loading...