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3 Feb 2024 · 1 min read

अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑

अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
हालात सुधरे हैं या बिगड़े आज तोल रहा हूॅ॑
अफसोस है मैं…………
मैंने संकल्प लिया था गरीबी को मिटाने का
पर अफसोस ना तो ये झोपड़ियाॅ॑ ही कम हुई
ना ही भूखों को दो वक्त की रोटी नसीब हुई
अफसोस है मैं…………
मैंने सपना देखा था बेरोजगारी मिटाने का
पर अफ़सोस है ना तो यह बेरोजगारी कम हुई
ना ही आज को युवाओं को रोजी नसीब हुई
अफसोस है मैं…………
मैंने ख्वाब संजोया था भाईचारे सौहार्द का
मगर अफसोस ना तो यह भेदभावना कम हुई
ना ही इस संकीर्णता से आजादी नसीब हुई
अफसोस है मैं…………
मैंने निश्चय किया था लोकतांत्रिक देश का
पर अफसोस ना तो चुनाव में धांधली कम हुई
ना आज तक वोट की कीमत ही नसीब हुई
अफसोस है मैं………..
मैंने वायदा किया था खुशहाली लाने का
मगर अफसोस ना तो भाग दौड़ ही कम हुई
ना ही ‘V9द’ यहाॅ॑ सच्ची खुशी नसीब हुई
अफसोस है ना…………

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