मैं~भंडारी लोकेश
मैं भंडारी लोकेश
फिर वही निशानी लिखता हूँ
कुछ बीते गुजरे लम्हों की
अनसुनी कहानी लिखता हूँ
तुम्हारे साथ की यादें
तेरी तस्वीर से बातें
वही रिमझिम सा गिरता मौसम
और भीगी सी मुलाकातें
चलो इस तन्हा सन्नाटे में
फिर वही सुनामी लिखता हूँ
कुछ बीते गुजरे लम्हों की
अनसुनी कहानी लिखता हूँ
ज़ब याद तुम्हारी उस पल-छिन
मेरी आँखें भीगी नित-नित दिन
बस गुजरे दिन बहती अंखियां
और रातें काटीं तारे गिन
मैं गुजरे लम्हों को अपनी
फिर वही ज़ुबानी लिखता हूँ
मैं भंडारी लोकेश …
चलो साथ जियें अब थोड़ा सा
एक नया जहाँ बसा लें अब
कुछ तुम हंस लो कुछ हम हंस लें
कुछ नया सा गुनगुना लें अब
मैं फिर से अपनी धड़कन को
पगली अन्जानी लिखता हूँ
मैं भंडारी लोकेश
आज से नई कहानी लिखता हूँ