मैंने बेटी होने का किरदार किया है
तुम्हें मेरा श्रृंगार करना पसंद था न,
आओ देखो मैंने अपना श्रृंगार किया है।
आज लोग मुझे आकर दुआएं दे रहे है
मैंने आज एक बेटी होने का किरदार किया है।।
यूँ इतने दिनों से मैं तेरे इश्क़ के साये में रही
मैंने कभी भी नहीं किसी का इंतेजार किया है।
बहुत सारे लोग आये – गए जिंदगी में मेरे
मैंने ना- कबूल हर किसी का इज़हार किया है।।
एक दुल्हन का लिबाज ओढ़े मैं इंतेजार कर रही हूँ
तुमने मेरी जिंदगी को बर्बाद किया है।
और सबाओं की तरह घूमती – फिरती थी तेरे इश्क़ में
आज तेरे इश्क़ ने मुझे जिंदा लाश किया है।।
तुम्हें पसंद था मुझे सजते – संवरते देखना,
मैंने आज उसी लहजे में श्रृंगार किया है।
और शादी हो रही है आज मेरी किसी और से
मैंने आज तुमसे पहले पापा की पगड़ी का सत्कार किया है।।