मैंने देखा हैं मौसम को बदलतें हुए
मैंने देखा हैं मौसम को बदलतें हुए
पर तुम कब बदल गये
पता ना चला
मैंने देखा हैं तारों को टूटते हुए
पर तुम कब रूठ गये
पता ना चला
मैंने देखा हैं बदलो को गरजते हुए
पर तुम कब चुप हो गए
पता ना चला
मैंने देखा हैं इंद्रधनुष को रंग बिखेरते हुए
पर तुम कब सवर गये
पता ना चला
मैंने देखा हैं बारिश को बरसते हुए
पर तुम कब थम गये
पता ना चला
मैंने देखा है देर रात तक जागते हुए
पर तुम कब सो गये
पता ना चला
मैंने देखा है उनको साथ चलते हुए
पर तुम कब किनारा कर गये
पता ना चला