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22 Feb 2024 · 1 min read

मैंने क्या कुछ नहीं किया !

धरती दे दी , गगन दिया
रूप अनुपम , इंसानी स्वरुप दिया
पूजा की महिमा भी दी
वंदन की दी भावना
कुदरत का हर रंग दिया
रिश्ते दिए, उनका संग दिया
प्रकृति की कृति निराली
मेघों की छटा मतवाली
पुष्पों की दी महक मनोहर
सांझ की बेला सुखकर
इश्वर आह भर बोले :
दिया तो तुमको सब कुछ मगर
आई न तुमको कभी सबर!

Language: Hindi
72 Views
Books from Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
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