मैंने ईश्वर को नहीं देखा…
1.
मैंने ईश्वर को नहीं देखा…
हां… जहां से प्रेम गुज़रा हर उस जगह पे मैंने उसे महसूस किया … प्रेम और परमात्मा पृथक नहीं हो सकता…
… सिद्धार्थ
2. प्यार को प्यार है…
क्या प्यार का भी कोई यार है
हाय… प्यार में जीना कितना दुश्वार है
प्यार का अलग ही अपना संसार है…
~ सिद्धार्थ
3. आप की याद लेकर आई है, फिर सुरमई शाम सुहानी
चश्म को दे गई गई है, फिर यादों कि हसीन निशानी !
~ सिद्धार्थ
सब के मन की अपनी अलग दुनियां होती है… जिसके रहवासी भी अलग अलग ही होते हैं। तुम मेरे दुनियां के इकलौते … हो