– मे हर रोज खो जाता हु –
– मे हर रोज खो जाता हु –
में हर रोज खो जाता हु,
उसकी यादो में सो जाता हु,
जानता हु की वो अब नही मिलेगी,
उसके जैसी मिल जाए कोई अब यही अरदास में लाता हु,
वो बिछड़ गई हमसे यह नादानी थी हमारी,
उसके बिछड़ने के बाद ही खुद को परिपक्व पाता हु,
होगी कभी न कभी तो ईश्वर की अनुकंपा मुझ पर,
ये सोच कर संभल जाता हु,
तड़पता हु बहुत अकेले रातो की तन्हाई में पर उसके बाद में सो जाता हु,
में रोज तन्हा होकर सो जाता हु,
में हर रोज खो जाता हु,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –