मेहरबानी कुदरत की
इसे कुदरत की
कहें मेहरबानी या
कोई करिश्मा
अद्भूत है
पंछियों का संसार
क्षणभंगुर है
जगत ये
आना-जाना है
नियति
उजाले में देखो भविष्य
अंधेरे से जाओ दूर
हरीभरी धरा के
नजारे
है मनमोहक
ये जगत
दूर करो प्रदूषण
स्वच्छ पर्यावरण
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल