मेहनत का फल मीठा
बूँद -बूँद से ही घड़ा भरता,
चलते चलते कछुआ जीतता,
व्यर्थ नहीं होता कभी परिश्रम,
मेहनत का फल मीठा होता,
छोटा नही कोई काज,
स्वयं पर हैं हमे नाज,
दिन रात यही सोचता,
खुशियों का मिले ताज,
घूमता नगर – नगर,
शहर की डगर डगर,
मिले सबको खाद्य शुद्ध,
करूँ जागरूक हर पहर,
भरकर एक नया उत्साह,
चला लेकर विश्वास अथाह,
पथ पर हो चाहे जितने कंकर,
कम न होने पाए मेरी चाह,
।।।जेपीएल।।।