मेरे हो सकते हो क्या
रूठने की आदत है मुझे…
तुम हर पल मना सकते हो क्या
तुम्हारा ही होकर रहना है मुझे…
तुम भी सिर्फ मेरे हो सकते हो क्या
मुझे तुमसे बाते करनी होती है
दिनभर बेफिजूल की..
तुम भी पूरे दिन कंधे पर सर रख
बेकार की बातें कर सकते हो क्या
मेरा मन उदास होने पर
छत पर जाकर बैठ जाऊं तो
रात को तारे गिनने में
तुम मेरा साथ दे सकते हो क्या
कहीं तो ये आसमां और जमीं
आपस में मिलते होंगे
अपनी राहें और आसमान जहां मिल जाये
वहां तक हाथ थाम साथ चल सकते हो क्या
खुद की तकलीफों को मन में
दबाकर, भीतर से घुटकर
दुनिया से दूर भागना चाहूं तो
अपनी बाहों में पनाह दे सकते हो क्या
साथी को इज्जत तो सभी देते है
तुम मेरे साथ साथ
मेरे घर वालों को भी
थोड़ी इज्जत दे सकते हो क्या
मुझे तुम्हारे दिल में रहना है
तुम थोड़ी जगह दे सकते हो क्या
रूठने की आदत है मुझे
तुम हर पल मना सकते हो क्या.…