Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

जख्म भी अब मुस्कुराने लगे हैं

मेरे हाल पर जख्म भी अब मुस्कुराने लगे हैं
सोचते होंगे किसी बेवफा ने किया ये हाल होगा

जितने भी ख्वाब थे सब झुलस कर रह गए है
इश्क की आग से खेलने वालों का यही हाल होगा

हमने कब कहा कि तुमसे मोहब्बत हो गई है
हर दिल लगाने वाले का यहां बस यही हाल होगा

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 91 Views

You may also like these posts

दीपक
दीपक
SURYA PRAKASH SHARMA
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नूतन रूप धर के तो देख !
नूतन रूप धर के तो देख !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
जबसे हम चार पैसे कमाने लगे हैं
नूरफातिमा खातून नूरी
4568.*पूर्णिका*
4568.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ परिंदें।
कुछ परिंदें।
Taj Mohammad
Please Help Me...
Please Help Me...
Srishty Bansal
इच्छाओं से दूर खारे पानी की तलहटी में समाना है मुझे।
इच्छाओं से दूर खारे पानी की तलहटी में समाना है मुझे।
Manisha Manjari
My Loving book
My Loving book
Dr. Vaishali Verma
कविता
कविता
Shiva Awasthi
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
Jyoti Roshni
पिता पर गीत
पिता पर गीत
Dr Archana Gupta
यादों का अंतहीन
यादों का अंतहीन
Dr fauzia Naseem shad
प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा
Kanchan Alok Malu
खुशी ( Happiness)
खुशी ( Happiness)
Ashu Sharma
नैन (नवगीत)
नैन (नवगीत)
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
*स्मृति: शिशुपाल मधुकर जी*
Ravi Prakash
तुम नफरत करो
तुम नफरत करो
Harminder Kaur
कौन हूँ मैं ?
कौन हूँ मैं ?
पूनम झा 'प्रथमा'
आदतें
आदतें
Sanjay ' शून्य'
"बहादुर शाह जफर"
Dr. Kishan tandon kranti
#पर्व_का_सार
#पर्व_का_सार
*प्रणय*
नई जैकेट , पुराने जूते
नई जैकेट , पुराने जूते
Shashi Mahajan
आँगन में दीवा मुरझाया
आँगन में दीवा मुरझाया
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
आंसुओं से अपरिचित अगर रह गए।
Kumar Kalhans
मनोभाव
मनोभाव
goutam shaw
नशा ख़राब है l
नशा ख़राब है l
Ranjeet kumar patre
अगर एक बार तुम आ जाते
अगर एक बार तुम आ जाते
Ram Krishan Rastogi
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
“लिखें तो लिखें क्या ?”–व्यंग रचना
Dr Mukesh 'Aseemit'
Loading...