मेरे हाथों की लकीरों में
मेरे हाथों की
लकीरों में भी
कोई चित्रकारी तो है
बहुत ज्यादा नहीं पर
किस्मत की रेखाओं से
मेरी थोड़ी थोड़ी यारी तो है
अभी तो मेरी हथेलियां
रंगहीन हैं
क्या इन्हें किसी रंग से
रंग दूं
मेहंदी का कोई डिजाइन
बना दूं
या महावर लगाकर इन्हें सजा दूं
मेरी किस्मत शायद कुछ और
चमक जाये
हथेलियों के बीचों बीच
एक चांदी के रंग का
सुनहरी किनारी वाला
चांद बना दूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001