मेरे हमसफ़र
मेरे हमसफ़र आख़िरी सफ़र तक
साथ साथ चलना, साथ ही मेरे रहना
प्यार और विश्वास की डोर को
मजबूती और विश्वास से थामें रखना
भूल हो जाए तुमसे या मुझसे
हर बार बात करते रहना
ये बात तुम भी जानते हो, ये बात मैं भी जानती हूं
रिश्ता पति पत्नी का सात जन्मों का अटूट बंधन होता है
तुम्हारे भी हमारे भी, कोई नहीं है साथ
हैं यहां हम और तुम, तुम देना हमेशा मेरा साथ
तुम बढ़ाना हौसला मेरा, टूट जाऊं या बिखर जाऊं मैं
मैं दूंगी साथ तुम्हारा, हर क़दम क़दम पर निभाऊंगी रिश्ता हमारा
बांट लेना हर दर्द तुम्हारा हो सकें तो रो लेना मेरे साथ
प्यार से तुम्हें मनाऊंगी, तुम्हारे आंसुओं को समेटूंगी
दूरियां हों तो भाप लेना, जो भी हों कहना कह देना
जो भी हों गिले शिकवे, मिटा लेना समय पर, बात बिगड़नें मत देना
जो हो कुछ पूछना मुझसे, हक़ से पूंछ लेना, हक़ हैं तुम्हें
सलाह मत लेना औरों की, हर समस्या आपस में सुलझा लेना
सुन लेना मेरी खामोशियों का शोर
दिल में मेरे जो मचाया हो आतंक जो
आओ जीते हैं इस पल को
ये पल फिर नहीं आयेंगे
हम चले जायेंगें, कुछ नही रह जायेगा
यादें रह जाएंगी, हम मिट जायेंगें, यह वक्त यहीं रह जाएगा
दुनिया से चले जाना है हमें भी, उसी दुनियां में मिल जाना है हमें भी
जहां से आए थे हम सभी, राख होना है यहीं हमें भी
फिर से नई दुनिया बनेगी, नए फूल खिलेंगे
जीवन नया मिलेगा, नए रिश्ते बनेंगे
आज़ हम साथ हैं तो जी लेते हैं, कल क्या होगा हम क्या जानें
कल कौन सा रास्ता कौन सी मंज़िल हमें पुकारे
चलना हर रास्ते, हर मंज़िल साथ हमें हमेशा साथ में
कोई रास्ता कोई मंज़िल, नहीं कर पाए दूर हमें
डोर थामना है ऐसे जैसे आंधी आए या आए तूफ़ान
हों दुखों की बरसात अगर तब भी, हमें साथ हर मौसम में रहना है
कब थम जाएं ये सांसें ये धड़कनें
कब रुक जाएं हमारी जमीं और ये आसमान
किसे पता किसे खबर यम दूत किस डगर
लें जाएं हमें उस डगर, कर दे अगर दूर हमें क्या रह जाएगा फिर
न खाओ कसमें न निभाओ वादें
चल दो साथ मेरे इतनी सी है चाहत यही हैं मेरे इरादे
_ सोनम पुनीत दुबे