*** मेरे सायकल की सवार….! ***
” गौर से देख…
ओ कुटिल राष्ट्र (विदेशी)…!
मत रख अपने दिल में…
ऐसे कोई विचार…,
जैसे दृष्टि-अंध धृतराष्ट्र..!
हम सायकल पर हो सवार…
आज कर गए चाँद की दरिया पार…!
लोग कहते हैं कि…
चाँद पर गहरा दाग है…,
पर अभी तक कोई प्रमाण नहीं…!
शायद तूझे भी…
इसका कोई ज्ञान या अनुमान नहीं…!
हम मन के सच्चे राही हैं…
सायकल के अच्छे सवारी हैं…!
अब पहुँच चुका है अपना विक्रम…
चाँद पर…,
हम ही तूझे बतायेंगे…
दाग है या नहीं चाँद के चेहरे पर..,
ये हमारी अपनी जिम्मेदारी है…!
ये हमारी अपनी जिम्मेदारी है…!! ”
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* बी पी पटेल *
बिलासपुर (छ.ग.)
२५ / ०८ / २०२३