मेरे सपनों की उड़ान
मेरे सपनों की उड़ान
कुछ इस कदर है।
हर पद को पाना चाहता हूं ।
मैं जीवन में हर ऊंचाई को छूना चाहता हूं ।
दुनिया में अपनी
अलग पहचान बनाना चाहता हूं।
मेरे सपनों की उड़ान
कुछ इस कदर है।
दुनिया में बढ़ा करना चाहता हूं ।
मैं तो आसमान को छूना चाहता हूं
राहा बुराई की छोड़कर
अच्छाई को अपनाना चाहता हूं।
अभी तो एक छोटा सितारा हुँ।
लेकिन एक समय सूरज बनकर निकलना चाहता हूं
इस दुनिया में बड़ा करना चाहता हूं।
अरे मैं तो आसमान को छूना चाहता हूं।
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
भोपाल बी.ए तृतीय वर्ष
अर्जुनसिंह कालूराम जी अहिरवार
ग्राम जगमेरी तैह बैरसिया जिला भोपाल (म.प्र.)