“मेरे सपने, मेरा चांद”
मेरे सपने, मेरा चांद,
बाकी उसके बाद है,
मेरी परिकल्पना का सागर,
मेरा जीवन पथ का श्रृंगार है।
मेरे जीवन का अथक परिश्रम,
सबके नयनों से ओझल है,
अनजान बने हैं लोग यहां,
मेरा तंगी में जीवन है।
अपने आप से मेरी बातें,
थोड़ी सुकून पहुंचाती है,
सो जाता हूं सब भूलकर,
थोड़ी दर्द भी कुंभलाती है।।
वर्षा (एक काव्य संग्रह)से/ राकेश चौरसिया
मो-9120639958