मेरे सपने, जो थे अपने, वो तोड़ गया मुझे मेरी ही राहों में तन्हा छोड़ गया
मेरे सपने, जो थे अपने, वो तोड़ गया
मुझे मेरी ही राहों में तन्हा छोड़ गया
हमसफर था मेरा,यूँ रूख मोड़ गया
मेरी मंजिल के सफर में, मुझे छोड़ गया
मुझे छोड़ गया ,ओ मुझे छोड़ गया
मेरी यादों,के बिस्तर से है, मुश्किल उसे भूल पाना
उसके यादों के साए में है अब जीवन बिताना
हम उसकी यादों में हर पल बिखरते है
तन्हाई में उसकी पल पल हम पिघलते है,
हम पिघलते है
कितना मुश्किल है, बिन उसके रह पाना
अब उसकी यादें ही है मेरे जीने का बहाना
भूपेंद्र रावत
6/11/2017