!!!! मेरे शिक्षक !!!
!!!! मेरे शिक्षक !!!
माता,पिता और परिवार जन के बाद जिन्होंने हमे अक्षर ज्ञान कराया, अनुशासन सिखाया, वो हमारे शिक्षक है। आज उन्ही देव तुल्य शिक्षकों के आशीर्वाद से हम यहां तक पहुंच पाए है। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर उन्हें बारंबार सादर नमन है।
मेरी प्राथमिक शिक्षा ग्राम उमरेड तहसील ब्यावरा जिला राजगढ़ में पूर्ण हुई। यहां मुझे श्री एन एल वर्मा, जिन्हें पूरा गांव दाढ़ी वाले सर के नाम से जानता था और श्री वी के तिवारी जी द्वारा पढ़ाया गया।
उनका स्नेह आज तक मेरे साथ बना हुआ है, जब भी मिलते है, प्रेम पूर्वक ज्ञान की बातें करते है। पहली से पांचवी तक सरकारी स्कूल में पढ़े, उस समय स्कूल बिल्डिंग भी नहीं थी, हम सब गांव के श्री राम मंदिर में पढ़े। गांव के ही श्री के एन शर्मा द्वारा बच्चों को कोचिंग पढ़ाई जाती थी, हमे भी उनसे पढ़ने का सौभाग्य मिला, बहुत मेहनत और लगन से पढ़ाते थे । कोचिंग का महीना अमावस्या और पूर्णिमा से माना जाता था। शुल्क के रूप में आटा, दाल, घी सब स्वीकार हो जाते थे। आज वह इस संसार में नही है, उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित।
आगे की पढ़ाई हेतु गांव से 2 किलोमीटर दूर के गांव गांगाहोनी जाना पड़ता था। यहां पर सम्मानीय श्री रामलाल सर और श्री जी एस सर द्वारा हमे 6 कक्षा में पढ़ाया गया। यहां पढ़ाने और सिखाने का तरीका बहुत ही अच्छा था। हमारा यह विद्यालय आस पास के क्षेत्र में पढ़ाई के लिए जाना जाता था। इस विद्यालय में आस पास के 8 से 10 गांव के बच्चे पढ़ने आते थे। दो शिक्षक तीन कक्षाएं संभालते थे। इसी विद्यालय से सर्व प्रथम ए बी सी डी सीखने का मौका मिला। यहां की पढ़ाई, किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं थी । शिक्षक पूर्ण ईमानदारी से नियमित रूप से अध्यापन कार्य कराते थे। एक बार की घटना याद है, मुझे जब मैं कक्षा आठ में था, तब सर श्री वर्मा जी की तबियत ठीक नहीं होने के बावजूद स्कूल आकर सब बच्चो को पढ़ाया और बोर्ड पर सर बोलते गए और हम लिखते गए। कुछ दिनों बाद स्कूल में अन्य शिक्षक श्री पी एस लववंशी, श्री एन एल खटानिया, श्री एम के शर्मा द्वारा भी हमे बहुत अच्छे से पढ़ाया गया।
यही रात में कोचिंग के लिए श्री जी एस लववंशी जी से 6 कक्षा में पढ़े थे। यहां पढ़ना ही नहीं अनेक नई नई बाते, कहानियां, रामायण, महाभारत, आल्हा ऊदल, अंग्रेजी के नए नए शब्द, रिश्ते नाते , जनरल नॉलेज आदि की विस्तृत जानकारी मिली, यहां खाना, पीना, खेलना, कूदना, अन्य शहरों का भ्रमण सब होता था वो भी प्रेम स्नेह और अपनेपन के साथ।
तीन साल बीतने के बाद आगे की पढ़ाई कक्षा 9 से पढ़ने के लिए गांव से पचास पचपन किलोमीटर दूर तहसील मुख्यालय आए यहां तब का सरकारी स्कूल नवीन भवन अब का उत्कृष्ट विद्यालय/ सीएम राइस स्कूल ब्यावरा में पढ़े। यहां पर श्री अजीत मिश्रा, श्री ए के सिंह सर, श्री शिव कुमार सांकवा जी, श्री पी के गुप्ता जी, श्री कालूराम राम शाक्यवार जी, श्रीमती ललिता राणा मैडम, श्री मती वर्षा सिंह मैडम (सबसे अधिक स्नेह रखने वाली मेम, जिन्होंने पुस्तकें दी और मेरी फीस भरी ), श्री सज्जन सिंह सर ( जिन्होंने संघर्ष करना सिखाया, कई बार पूरी क्लास में अकेले आने पर भी मुझे पढ़ाया, यह कभी नही बोला कि आज तुम अकेले आए हो, घर जाओ ), श्री मनीष उपाध्याय जी, श्री शैलेश वर्मा ( कक्षा 9 और 10 की कोचिंग , सर से पढ़ी, आदरणीय सर ने पूरी लगन के साथ पढ़ाया था, मात्र 2 माह में पूरा मैथ्स कंप्लीट) , परम आदरणीय श्री जे पी सक्सेना जी (सर ने कक्षा 11 और 12 में हमें कोचिंग पढ़ाई, मेरी परिस्थिति देखकर, कोचिंग फीस नहीं ली थी, सर के द्वारा पढ़ाने पर पूरे ब्यावरा शहर में कक्षा 12 में टॉप किया था ) , श्रीमती अंजू सक्सेना मेम ।
अब स्कूल शिक्षा पूर्ण कर सरकारी कॉलेज में एडमिशन लिया। यहां श्री ए के भारद्वाज सर और श्री व्ही के जैन सर द्वारा फिजिक्स और केमिस्ट्री बहुत ही सरल ढंग से हमे पढ़ाई गई, जितना पढ़ाते थे, प्रति दिन उतना कक्षा में ही कंठस्थ हो जाता था। श्री मती गीता मोदी मेम, बबिता सक्सेना, श्री अजय योएल सर, श्री राजेंद्र भार्गव सर, ज्योति शर्मा मेम, निमिता जैन मेम, श्री हरि मारू सर, द्वारा पढ़ाया गया। इस तरह प्राथमिक शिक्षा से कॉलेज तक की शिक्षा का सफर पूर्ण किया। सभी शिक्षको का बहुत बहुत ह्रदय से आभार।
अक्षर अक्षर जोड़कर, दिया ज्ञान भंडार।
शिक्षा के भगवान को, नमन करें संसार।।
——–जे पी लववंशी