मेरे शब्द/मंदीप
मेरे शब्द/मंदीप
मेरे शब्द मेरी पहचान बताते,
मेरे ही शब्द मेरा लोगो से परिचय करवाते।
है कितना घाव इस दिल में,
मेरे ही शब्द मेरे दिल का हाल बताते।
गिरते है जब भी आँखों से मेरे आँसु,
मेरे ही आँसू बिना बोले शब्द बन जाते।
रहता हूँ जब भी मै तन्हाइयो में,
मेरे ही शब्द मुझे गले से लगते है।
बोलता हूँ जब भी मे ऊँची आवाज में,
मेरे ही शब्द मुझे नीचा दिखाते है।
रूठता है जब भी कोई अपना,
मेरे ही शब्द उसे प्यार से मनाते।
है मेरे शब्दों की अमियत इतनी,
दुश्मन भी मुझे गले से लगाते।
कितना दूर रहा हु में सनम तुझ से
मेरे हर शब्द उस पल का अहसास करवाते।
है कोई “मंदीप” के दिल में कोई
आज कल मुझे उस के शब्द ही बहाते।
मंदीपसाई