मेरे वीर कमल
आज देखा जाने और जीने का अलग मिजाज मेरे वीर का
ह्रदय हुआ स्थिर जैसे और देखा मन भारी ह्रदय के चीर का
देखा मेरा कमल साहवा का जो महका है सुखे धोरो मे
देखा रग,कण,जन बाप ,बहिन और माँ की धीर औरो मे
धन्य हुआ जीवन उसका और गौरव ईला की ममता हुई
जन रोम छिद्र सा उमड़ा था और धन्य धरा की क्षमता हुई
देखा है तुमने लड़कपन जब बढना था तुम्हे अगुवाई मे
दोस्त कॉलेज मैदान स्कूल रस्ते और छवि ह्रदय के भाई मे
है नाज भोम के वीर कमल तुम पर गदगद भरी छाती से
कौन चुका सकेगा ऋण तेरा कमल साहवा धरा की माटी से
धन्य मेरे वीर धीर है नमन तुम्हे तल मन भाव व गहराई से
हो अमर मेरे कमल तुम्ही शौर्य गौरव गाथा की भरपाई से
अमर शहीद कमल को समर्पित ….
नमन जय हिन्द ….