Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

मेरे वतन सूरज न निकला

मेरे वतन सूरज न निकला
गहन तिमिर यूँ घनघोर बना
सूक्ष्म प्रभा को हिय तरसा
था पयोद घना फिर न बरसा।

गुम थी जहाँ इक उजियारी
रविकर आभा प्रखर न्यारी
ओट से मन बेबस निहारता
सजल अंखियों संग दुलारता।

इक ओर इठलाती रश्मि सारी
कहीं बरबस सी निशी घनेरी
विस्तृत नभ सिहरन अलबेली
सुगंधित बयार संग अठखेली।

हर्ष प्रमुदित कुछ मुख दमके
नवीन उल्लास संग ही चमके
जिस ओर सजा वो उजियारा
था वतन वो कितना निराला।

आयेगा एक दिन वतन मेरे
भर देगा रवि रम्य दीप्ति सी
छँट जायेगा तब तिमिर सारा
दमक उठेगी अँधियारी गली।

✍️”कविता चौहान”
स्वरचित एवं मौलिक

132 Views

You may also like these posts

पेड़ लगाएं पेड़ बचाओ !!
पेड़ लगाएं पेड़ बचाओ !!
Seema gupta,Alwar
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
पूर्वार्थ
मोर सपना
मोर सपना
Dijendra kurrey
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ"
Dr. Kishan tandon kranti
दीदार-ए-इश्क
दीदार-ए-इश्क
Vivek saswat Shukla
अरसे बाद
अरसे बाद
Sidhant Sharma
तुम मुझसे ख़फ़ा हो गए हो
तुम मुझसे ख़फ़ा हो गए हो
शिव प्रताप लोधी
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
তুমি আর আমি
তুমি আর আমি
Sakhawat Jisan
मु
मु
*प्रणय*
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
* शक्ति है सत्य में *
* शक्ति है सत्य में *
surenderpal vaidya
कबूतर
कबूतर
Vedha Singh
- भाई -भाभी के हो गए मां -बाप परिवार को खो गए -
- भाई -भाभी के हो गए मां -बाप परिवार को खो गए -
bharat gehlot
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुहब्बत
मुहब्बत
Pratibha Pandey
sp123 जहां कहीं भी
sp123 जहां कहीं भी
Manoj Shrivastava
बचपन
बचपन
Ayushi Verma
ताजमहल
ताजमहल
Satish Srijan
शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला
शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला
संजीव शुक्ल 'सचिन'
खंडकाव्य
खंडकाव्य
Suryakant Dwivedi
संकल्प
संकल्प
Shashank Mishra
तुमसे दूर रहकर जाना जुदाई क्या होती है
तुमसे दूर रहकर जाना जुदाई क्या होती है
डी. के. निवातिया
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
Shreedhar
" लो आ गया फिर से बसंत "
Chunnu Lal Gupta
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
gurudeenverma198
2566.पूर्णिका
2566.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
Tushar Jagawat
ऋतुराज संग लाया बहार
ऋतुराज संग लाया बहार
Bharti Das
Loading...