“मेरे लिए”
ज़िदगी नें कुछ यूँ साथ निभाया है
मेरी किस्मत देख कर सूरज गरमाया
और चाँद का मन भी भरमाया है
उन्हें यूँ लगता है कि
मेरे ऊपर उन्हीं का साया है
चाँद की चाँदनी से
मैने शीतलता को पाया है
मेरे लिए ही भौरों ने गुनगुनाया है
मेरे तसव्वुर में कोयल ने गीत गाया है
फूलों ने मेरे लिए ही समाँ को महकाया है
मेरे परस से लाजवंती का पौधा शरमाया है
और देखो न कितनी अदा से
हवा का आँचल सरसराया है
बुलबुल की मीठी आवाज ने
मेरे मन के तारों को खनकाया है
नाचते मोर के पंखों की
अजब खूबसूरत माया है
चारों तरफ बिखरे सौंदर्य ने
कृष्ण की बाँसुरी में स्वर जगाया है
या फिर उसकी बाँसुरी के
सुरों से ही सौन्दर्य नें जन्म पाया है
रत्नगर्भा के मस्तक पर
चमचमाते सितारों से पटे
अम्बर का साया है
ये सब कुछ उस विधाता ने
मेरे लिए ही तो बनाया है
मैं बहुत खुश हूँ कि
मैंने इस पवित्र और मनोहारी
संसार में स्थान पाया है
और इसी लिए मैंने
नकारात्मकता को पीठ दिखा कर
हर पल सकारात्मक जीवन
जीने का मन बनाया है..
अपर्णा थपलि़याल”रानू”