*मेरे मन में तेरा फ़िक्र है*
मेरे मन में तेरा फ़िक्र है
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हर बार तेरा ही जिक्र है,
मेरे मन में तेरा फ़िक्र है।
शिद्द्त से डूबे हम प्यार में,
क्यों मिला प्रेम में हिज्र है।
यक़ी रख हम बेवफा नहीं,
क्रोधित हम से देव इंद्र है।
दिन रात नींद आती नहीं,
ना जाने कब से अनिद्र है।
धन माया से हम लदे हुए,
हृदय की हालत दरिद्र है।
मनसीरत के वश में नहीं,
जिगर में छोटा सा छिद्र है।
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सुखविंद्र सिंह मानसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)