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27 Jan 2024 · 1 min read

मेरे मन की मृदु अभिलाषा मेरा देश महान बने …

मेरे मन की मृदु अभिलाषा,
मेरा देश महान बने,
कल तक था सोने की चिड़िया,
अब हीरों का हंस बने,

गंगा, जमुना और सरस्वती,
फिर अमृत जल भर लायें,
शस्य श्यामला फसलों की,
खेती हर ओर लहलहायें

हो जाये तांडव नृत्य,
शंकर डमरू फिर बज जाये,
इस पावन पूज्य धरातल से,
दुष्टों का सफाया हो जाये,

हो आन-वान और शान यहाँ की,
रक्षक बन जायें वीर किसान,
सैनिक बनकर मात्रभूमि हित,
नौजवान दें अपने प्रान,

पुष्प सुगन्धित खिल निर्जन में,
ऐसी अपनी दें पहचान,
ज्यों अम्बर से तारे गिरकर,
बन गए हों धरती की शान,

साम्राज्य हो यहाँ शांति का,
प्रकृति धरा की दुल्हन बने,
कर संकल्प विश्वोत्थान का,
मेरा देश महान बने।

**** **** **** ***

Language: Hindi
118 Views
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