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18 Mar 2018 · 1 min read

मेरे भाग्य की लकीरो पर

मेरे भाग्य की लकीरों पर
मेरे महवूब का नाम है
प्यार इतना मिला ,मैंने सोचा नहीं
हो गई है सुबह ,न रही शाम है ….

जब से वो मेरी किस्मत का
सितारा बना
मैं उसकी बनी ओर
वो हमारा बना
ऐसा लागे मुझे
वो ही श्याम सुंदर ,वो ही राम है।
मेरे भाग्य की लकीरों पर ……(1)

घड़ी दो घड़ी ही
मैं उससे मिली
मानो जमाने की
खुशियाँ मिली
मेरे जिस्म के कतरे कतरे पर
लिखा मेरे मेहवूब का नाम है।
मेरे भाग्य की लकीरों पर………(2)

मेरा प्रीतम बड़ा अलबेला सखी
कैसे उसको, मैं रिछाऊ प्यार में
बता दो मुझे ,अपने मेहवूब को
कैसे सताऊ ,तकरार में
उसके सीने लिपट, मैं जाऊँ सिमट
जैसे ओठो से लगता हुआ जाम है।
मेरे भाग्य की लकीरों पर……….(3)

मन मंदिर में वसती है
सूरत वही
मुझे लागे खुदा की
मूरत वही
वही मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा
वही तीरथ वही धाम है।
मेरे भाग्य की लकीरो पर………(4)

मेरे भाग्य की लकीरो पर
मेरे मेहबूव का नाम है ……

राघव दुबे ‘रघु’
इटावा
8439401034

Language: Hindi
356 Views
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