मेरे भाग्य की लकीरो पर
मेरे भाग्य की लकीरों पर
मेरे महवूब का नाम है
प्यार इतना मिला ,मैंने सोचा नहीं
हो गई है सुबह ,न रही शाम है ….
जब से वो मेरी किस्मत का
सितारा बना
मैं उसकी बनी ओर
वो हमारा बना
ऐसा लागे मुझे
वो ही श्याम सुंदर ,वो ही राम है।
मेरे भाग्य की लकीरों पर ……(1)
घड़ी दो घड़ी ही
मैं उससे मिली
मानो जमाने की
खुशियाँ मिली
मेरे जिस्म के कतरे कतरे पर
लिखा मेरे मेहवूब का नाम है।
मेरे भाग्य की लकीरों पर………(2)
मेरा प्रीतम बड़ा अलबेला सखी
कैसे उसको, मैं रिछाऊ प्यार में
बता दो मुझे ,अपने मेहवूब को
कैसे सताऊ ,तकरार में
उसके सीने लिपट, मैं जाऊँ सिमट
जैसे ओठो से लगता हुआ जाम है।
मेरे भाग्य की लकीरों पर……….(3)
मन मंदिर में वसती है
सूरत वही
मुझे लागे खुदा की
मूरत वही
वही मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा
वही तीरथ वही धाम है।
मेरे भाग्य की लकीरो पर………(4)
मेरे भाग्य की लकीरो पर
मेरे मेहबूव का नाम है ……
राघव दुबे ‘रघु’
इटावा
8439401034