मेरे बुढ़ापे का तू सहारा, मेरी नज़र में एवन है
——-ग़ज़ल——-
मम्मा बोली इक दिन मुझसे, मून तू मेरा तू ही सन है
मेरे बुढ़ापे का तू सहारा, मेरी नज़र में एवन है
जीन्स फ़टी है फ़टी कमीज़ें, जिसको देखो अधनंगा
खुली सड़क पर जिस्म दिखाते यह भी कोई फ़ैशन है
दिल न लगाना किसी हसीं से, वरना फिर पछताओगे
दिल को लेकर तोड़ ही देना, इनका पुराना पैसन है
हम सब डिब्बे हैं ऐ यारों, जीवन की इस गाड़ी की
बनके ड्राइवर हमें चलाये, रब ही सबका इंजन है
अब तो आओ हे परमेश्वर, तुम्हें बुलाती है धरती
होपलेस सब मैन हुए हैं, जिसका कोविड रीज़न है
कफ़न चुरा कर लाशों से भी, बेच रहे हैं ये ज़ालिम
या रब इन धन के भूखों को, क्यों न सिखाता लैसन है
गेहूँ के सँग घुन भी पिसते, नज़र पिकअप कर देख ख़ुदा
शहर करे शमशान सा प्रीतम, रब जो तेरा ये करेक्शन है
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)
9559926244