“मेरे पिता”
“मेरे पिता”
लिया जन्म जब मैंने इस सुंदर सँसार में,
घर के एक कोने में खड़े थे मेरे पिता।
मैं ज़ब रोए जा रहा था मां की गोदी में,
मंद मंद मुस्कुराए जा रहे थे मेरे पिता।
ईश्वर रूप में उन्हें पाके ख़ुश होना था मुझे,
मुझसे अधिक खुशी जता रहे थे मेरे पिता।
जमीं पे मैंने जब रखा अपना पहला क़दम,
उँगली पकड़ कर चलाए जा थे मेरे पिता।
मेरे उठने से पूर्व ही काम पर निकल जाते,
शाम को थक कर घर लौटते थे मेरे पिता।
रात को जब कभी नींद नहीं आती थी मुझे,
लोरी सुना चुपके से सुला देते थे मेरे पिता।
फ़िर खूबसूरत दौर आया मेरे स्कूल का ज़ब,
मेरी तख़्ती, क़लम, बस्ता बने वो थे मेरे पिता।
मुझे मालूम ही नहीं था क्या चीज़ है ये पैसा,
धूप में बहाया पसीना जिसने वो थे मेरे पिता।
ऑफिस से लौटता था जब मैं क़भी रात को,
मुझसे ज़्यादा मेरी परवाह करते थे मेरे पिता।
सुना है माँ से ज़्यादा प्रेम नहीं करता कोई चंदेल,
माँ से अधिक स्नेह मिला जिनसे वो थे मेरे पिता।
“विक्की चंदेल (चंदेल साहिब)”
“ज़िला:-बिलासपुर”
“देवभूमि हिमाचल प्रदेश”