“मेरे पाले में रखा कुछ नहीं”
मेरे पाले में रखा कुछ नहीं।
पर देख ले मुझे दुःख नहीं।
वे सपने खरीदते-बेचते है।
पर पाते कभी सुख नहीं।
वक्त,पाल्हा अक्सर बदलते है।
पर निश्शंक तेरे मुख नहीं।
मुकद्दर में जो है वो मिलेगा ।
जन्नत मिले ऐसी भूख नहीं।
मौत से जूझने का है अच्छा तरीका।
कब बदल जाए हवा का रुख नहीं।
कुछ ज्यादा ही जज़्बाती हो रहें हम।
भले रुक जाए धड़कन मुझे रोक नहीं।।