मेरे पापा
हम नन्हें पौधों को सींचकर वृक्ष बनाया पापा ने।
कभी डांट कर, कभी प्यार से ,
हमको संभलना सिखलाया पापा ने।
पालन किया,सृजन किया,
इस नवदीप को प्रज्वलित किया पापा ने।
हम नन्हें पौधों को सींचकर वृक्ष बनाया पापा ने।
हर अभिलाषा पूरी हो हमारी,ये उन्होंने ठानी थी,
तजनीज सुख को ,पूरी की हर जि़द्द हमारी थी।
नाम दिया, पहचान दिया ,पथ प्रदर्शक बनकर,
जीवन की कठिनाई से लड़ना बताया पापा ने।
खत्म हुआ संघर्ष आपका, अब हमारी बारी है,
प्रसन्न रहें आप सदैव ,यह अभिलाषा हमारी है ।
लिखने बैठी संदेश मैं, पिता दिवस पर पापा को,
सोच रही थी लिखूं मैं क्या ,जब मुझे ही स्वयं लिखा है पापा ने।
हम नन्हें पौधों को सींच कर वृक्ष बनाया पापा ने।।