Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Sep 2019 · 1 min read

मेरे पापा की रचना

तपीशे गुल से तो पत्थर भी पिघल जाते हैं,
हम तो वो गुल हैं जो पत्थर पे भी खिल जाते हैं,

देख पत्थर से ना देना कहीं पत्थर का जवाब
वरना पत्थर से फिर शोले भी निकल आते हैं,

शोला फिर शोला है शोला ही है तासीर उसकी
शोला जलता हैं तो फिर आशियाँ जल जाते हैं.

कौन होता है बुरे वक़्त की हालत में सरीक
शाम तक खुद के ही साये भी सिमट जाते हैं,

डूबने वाले को इमदाद नहीं मिलती है
सिरफ साहिल पे तमाशाई नज़र आते हैं,

कुछ तो हालात ने मुजरिम हमें ठहराया है
और कुछ लोग भी इल्ज़ाम दिए जाते हैं,

राह तेरी भी वही राह मेरी भी वही,
क्यों नहीं राह के पत्थर को मिल हटाते हैं

जब कभी कारवाँ लूटने का सबब ढूँढ़ा है
रहज़नी करते हुए रहबर ही मिल जाते हैं

दोस्ती अब तो बस दस्तूर रह गयी यारों
दिल तो मिलते नहीं बस हाथ ही मिल पाते हैं…..

1 Like · 1 Comment · 494 Views

You may also like these posts

बालगीत
बालगीत
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
लड़की होना ही गुनाह है।
लड़की होना ही गुनाह है।
Dr.sima
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
Sapna Arora
9. Thy Love
9. Thy Love
Ahtesham Ahmad
सब कुछ ठीक है
सब कुछ ठीक है
Shekhar Chandra Mitra
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
Madhuri mahakash
थोड़ा सच बोलके देखो,हाँ, ज़रा सच बोलके देखो,
थोड़ा सच बोलके देखो,हाँ, ज़रा सच बोलके देखो,
पूर्वार्थ
कल तेरे नाम से दुनिया ने मुझको जाना था,
कल तेरे नाम से दुनिया ने मुझको जाना था,
Phool gufran
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
sushil sarna
क्या कोई नई दुनिया बसा रहे हो?
क्या कोई नई दुनिया बसा रहे हो?
Jyoti Roshni
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख़्याल इसका कभी कोई
ख़्याल इसका कभी कोई
Dr fauzia Naseem shad
"आँखें तो"
Dr. Kishan tandon kranti
"पुरानी तस्वीरें"
Lohit Tamta
मिथक से ए आई तक
मिथक से ए आई तक
Shashi Mahajan
... बीते लम्हे
... बीते लम्हे
Naushaba Suriya
हे अयोध्या नाथ
हे अयोध्या नाथ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
- दोष -
- दोष -
bharat gehlot
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
..
..
*प्रणय*
*बताए मेरी गलती जो, उसे ईनाम देता हूँ (हिंदी गजल)*
*बताए मेरी गलती जो, उसे ईनाम देता हूँ (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चंदा मामा और चंद्रयान
चंदा मामा और चंद्रयान
Ram Krishan Rastogi
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
बेख़्वाईश ज़िंदगी चुप क्यों है सिधार गयी क्या
Kanchan Gupta
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
गुमनाम 'बाबा'
कच कच कच कच बोले सन
कच कच कच कच बोले सन
आकाश महेशपुरी
शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
शरीर जल गया, मिट्टी में मिल गया
Sonam Puneet Dubey
सोचता हूँ
सोचता हूँ
हिमांशु Kulshrestha
2651.पूर्णिका
2651.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बरसात - अनुपम सौगात
बरसात - अनुपम सौगात
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
Loading...