मेरे नसीब
मेरे नसीब मे नहीं तो क्या,
जो हैं वो तो मिल ही जायेगा।
जो नहीं हैं मेरे नसीब मे,
मिल कर भी चला जायेगा।।
मैं खुश हूँ बहुत,
तुने इतना दिया मेरे मालिक।
वर्ना इतना भी कहा,
सब को मिलता हैं यहा।।
बस इतना ही रहम करना,
मुझ पर मेरे मालिक।
तेरी रहमत ना कभी कम हो,
मेरी तो आस चलती हैं यहा।।
मेरे नसीब में नहीं तो क्या…..
ललकार भारद्वाज