मेरे देश के लोग
(शेर)
भूखमरी से लड़ रहे हैं
लोग मेरे देश के!
बीमारियों से मर रहे हैं
लोग मेरे देश के!
तख्त और ताज की
मिली-जुली साजिशों से!
गट्टरों में सड़ रहे हैं
लोग मेरे देश के!
(गीत)
भटक रहे हैं दर-बदर
क्यों लोग मेरे देश के
पटक रहे हैं अपना सर
क्यों लोग मेरे देश के…
(१)
सोचने दो मुझे ज़रा
कहां गए सब रहनुमा
तड़प रहे हैं आठों पहर
क्यों लोग मेरे देश के…
(२)
सिपाहियों की गालियां
मवालियों की लाठियां
झेल रहे हैं इस क़दर
क्यों लोग मेरे देश के…
(३)
मुसीबतों से हारकर
अपने मन को मारकर
पी रहे हैं ऐसे ज़हर
क्यों लोग मेरे देश के…
(४)
जिससे तख्त उलट जाए
जिससे ताज पलट जाए
मचाते नहीं हैं फिर ग़दर
क्यों लोग मेरे देश के…
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Shekhar Chandra Mitra
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