“मेरे क़दम”
जिन्दगी की दौड़ से ,घबरा गए हैं।
कुछ दूर चले और ख़ुद से ही टकरा गए हैं।
वैसे तो दुनिया से, लड़ लेते हैं।
पर देखा अपनों को सामने,
तो मेरे क़दम ख़ुद- ब – ख़ुद लड़खड़ा गए हैं।
जिन्दगी की दौड़ से ,घबरा गए हैं।
कुछ दूर चले और ख़ुद से ही टकरा गए हैं।
वैसे तो दुनिया से, लड़ लेते हैं।
पर देखा अपनों को सामने,
तो मेरे क़दम ख़ुद- ब – ख़ुद लड़खड़ा गए हैं।