उसके आंसू
ऑंखों से छलके आंसू,
तो सबको नजर आए,
मगर मन में, वो रोईं,
तो किसी को दिखाई न दिया.
जब जोर जोर से,
वो चिल्लायी, तो सबने सुन लिया,
मगर, जब मन में,
मदद की पुकार लगाई,
किसी को सुनाई न दिया.
न जाने कितने ही बार,
वो मरती है,
और क्या क्या सहन करती है?
उसके चेहरे के भावों ने,
किसी को न पता,
चलने दिया.
नारी का,
सब सहन करना,
एक अच्छा गुण बन गया,
युग बदल गया,
मगर अब भी, समाज ने,
अपनी सोच को न बदल ने दिया.