Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Nov 2023 · 1 min read

मेरे अल्फ़ाज़

हैं तुझी से शुरू , तुझ पर ख़त्म ।
मेरे अल्फ़ाज़ अब नहीं मेरे ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 312 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जलधर
जलधर
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
23/119.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/119.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर
गुमनाम 'बाबा'
जुदाई की शाम
जुदाई की शाम
Shekhar Chandra Mitra
*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पुत्रमोह
पुत्रमोह
manorath maharaj
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
राम आएंगे
राम आएंगे
Neeraj Agarwal
धवल बर्फ की झीनी चादर पर
धवल बर्फ की झीनी चादर पर
Manisha Manjari
"प्रवास"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी अंतरआत्मा थक गई
मेरी अंतरआत्मा थक गई
MUSKAAN YADAV
प्रेम
प्रेम
अंकित आजाद गुप्ता
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
हे कृतघ्न मानव!
हे कृतघ्न मानव!
Vishnu Prasad 'panchotiya'
ईष्र्या
ईष्र्या
Sûrëkhâ
! हिमालय हितैषी !!
! हिमालय हितैषी !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
गर गुनहगार मै हूँ तो गुनहगार तुम भी हो।
गर गुनहगार मै हूँ तो गुनहगार तुम भी हो।
Ashwini sharma
प्रेम दिवानों  ❤️
प्रेम दिवानों ❤️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बस नज़र में रहा हूं दिल में उतर न पाया,
बस नज़र में रहा हूं दिल में उतर न पाया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
ज़नहरण घनाक्षरी
ज़नहरण घनाक्षरी
Rambali Mishra
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
#अनुभूत_अभिव्यक्ति
*प्रणय*
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
सुख की तलाश आंख- मिचौली का खेल है जब तुम उसे खोजते हो ,तो वह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
“लिखते कुछ कम हैं”
“लिखते कुछ कम हैं”
DrLakshman Jha Parimal
जब अकेले ही चलना है तो घबराना कैसा
जब अकेले ही चलना है तो घबराना कैसा
VINOD CHAUHAN
हमेशा जागते रहना
हमेशा जागते रहना
surenderpal vaidya
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कल, आज और कल ....
कल, आज और कल ....
sushil sarna
नया सवेरा
नया सवेरा
Neha
Loading...