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13 Mar 2018 · 1 min read

मेरे अपनों ने घर जलाया है ……..

गजल ……मेरे अपनों ने घर जलाया है
*******
उनकी नीयत में फर्क आया है
हमनें अपना जिन्हें बनाया है

फैर ली उसनें भी आँखें हमसे
घर का जिसनें नमक भी खाया है

आशनां था जो गम की दुनिया से
मेरे गम में वो ही मुस्कराया है

पीठ पीछे वो वार करते है
हमनें जिनको गले लगाया है

आज खुद पै ही शर्म आती है
दूध सांपो को जो पिलाया है

सरे बाजार अब बिकते है इमांन
मेला वाईज ने जो लगाया है

सहन..ए..गुलशन में खैर हो या रब
हर तरफ उल्लूओं का साया है

शिकवा गैरो का क्या करूं “सागर”
मेरे अपनों ने घर जलाया है !!
********
मूल शायर ….
बैखोफ शायर
डाँ. नरेश कुमार “सागर”
_9897907490

1 Like · 1 Comment · 640 Views

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