मेरी क़लम तू अंगार
मेरी क़लम तू अंगार लिखेगी
पत्थरबाजों को गद्दार लिखेगी
भागों गद्दारो हमारे आगे आगे
पेलेटगन से गोली चलेगी आगे
शाबाश मेजर लो हमसे शाबाश
जीप पर बांधो रोज नए बदमाश
खुली छूट लेलो अब भारतीय सेना
पिंजरे में पकड़ के डालो तोता मैना
कश्मीर नहीं कहलाए देशी विदेश
नहीं आग उगले घाटी का परिवेश
एक के बदले दस नहीं लाएंगे पच्चास
गिनती भूले पाक बिछाओ इतनी लाश
कवि नही जो हम वापिस दे दे सम्मान
सीने पर गोली खाते कहतें है ये जवान
पाक से अब युद्ध नहीं महासमर होगा
मरने की चिंता नहीं नाम ये अमर होगा
हटाओ मोदी जी से सेना पर से प्रतिबंध
कर मोदी गिलानी जेसो का तुम प्राबन्ध
दिखाओ दुनियाँ को छतीस इंच सीना है
ग़द्दार तो सामने अम्बी जैसे या जयचंद
कह दो मोदी पाक को मरघट लिख दो
जहाँ गिरेगा लहू तो पवन तट लिख दो
अब दे दो लाल किले से बस ये सन्देश
राम मंदिर अयोध्या में बनने के आदेश
दे दो धारा 370 खत्म करने की सौगात
सब भारतीय लिखेंगे खत्म जात ओ पात
अब कदम अपने गरीबों को और मोड़ दो
नहीं छोड़ो गद्दी और अपनी सरकार छोड़ दो
तिलक गोखले और लाजपत का देश बनादो
जो बाधा बनती पैरों की वो जंजीरे तोड़ दो
कहता कवि अशोक हाथ मे ले गीता कुरान
पूरे कर दो अखण्ड भारत के मेरे भी अरमान
महजब बना दो हम सब का एक वन्दे मातरम
सबकी उपासना का बीज मंत्र हो वन्दे मातरम
अशोक सपड़ा हमदर्द
दिल्ली से