मेरी साथी- मेरी पुस्तक
मेरे हर पल की साथी,
मेरे मन की वो सारथी,
लगता बड़ा पुराना नाता,
जन्म जन्म से पहचानता,
उसके बिन हूँ बहुत अधूरा,
पाकर उसको मैं होता पूरा,
जब मन होता हैं विचलित,
वो ही शांत करती है चित्त ,
सूनेपन में देती है दस्तक,
ऐसी हैं मित्र मेरी पुस्तक,
जीवन के हर कदम पर, जब पुस्तक हो संग ।
टल जाते संकट सभी, खिले खुशी के रंग ।।
——जेपीएल