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25 Jan 2024 · 1 min read

” मेरी लेखनी “

हे लेखनी ! तेरे साथ से ही जीती हूं ,
सुबह – शाम तेरे सहारे लिखती हूं ।
अपने बातों का ताना-बाना बुनती हूं ,
तुझसे ही अपना हर राज़ खोलती हूं ।

लेख में दर्द तो कभी प्यार घोलती हूं ,
हृदय का भाव शब्दों में तौलती हूं ।
हर ख्वाब की माला शब्दों से पीरोती हूं ,
जज्बातों का व्यापार तेरे साथ करती हूं ।

तुझे अपने हृदय का दर्पण बनाती हूं ,
तेरे सहारे अपनी कल्पना से मिल आती हूं ।
ज्योति मेरा नाम है पर साहस तुझसे पाती हूं ,
तेरे सहारे ही रौशनी फैलाती हूं ।

हर शब्द का एक नया अर्थ समझाती हूं ,
तेरे होने से ही मैं कामयाब हो पाती हूं ।
तेरे होने से ही अपना एहसास जगाती हूं ,
हर पल को साल में लिखती जाती हूं ।

तेरे बिना ना होगा मेरा गुजारा यही सोच के घबराती हूं ,
तुझसे मेरा कोई स्वार्थ नहीं बस अपने विचार सब तक पहुंचाना चाहती हूं ।
इसलिए तुझे अपने जीवन का हथियार बनाती हूं ,
उस विधाता का वरदान समझ तुझे शिश नवाती हूं ।

? धन्यवाद ?

Language: Hindi
1 Like · 67 Views
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