मेरी माँ
“माँ केवल शब्द नहीं ,जीवन की परिभाषा है !
ममता जिसकी है निराली ,और अपने जीवन की आशा है !
धरती पे आने से भी पहले ,जिसने हमको पाला है !
आने वाली हर बाधा को जिसने खुद पर झेला है !
हमारी एक मुस्कान पे जिसने अपना सब कुछ वारा है !
जगते जगते रात बिता दे यदि हमने आँख भिगोया है !
मेरे चेहरे को न जाने वो कैसे पढ़ लेती है !
जीवन के कठिन पलों मे भी वो मुझको हिम्मत देती है !
जिसके दिन भर चुप रहने से दिल में बेचैनी होती है !
और उसके गुस्से में भी केवल प्यार की गंगा बहती है !
जिसके आँचल की छाया में सारे गम छिप जाते हैं !
उसके गोदी में सर रख के स्थिर से हो जाते हैं !
रातों की जो नींद गवा दे हमको काबिल करने में !
पूरी दूनिया से लड़ जाये हमारी शान बचाने में !
माता तो देवी का रूप है हर एक घर के मंदिर में !
उसके बलिदानों का मोल चुकाना मुश्किल है इस जीवन में ! “