“मेरी माँ”
नाम के अनुरूप हैं मेरी माँ,
सहज सरल स्वरुप है मेरी माँ।
खुशियो का अनुपम सानिध्य हे मेरी माँ,
ईश्वर का दिया कीमती वरदान है मेरी माँ।
बिना छल कपट के स्नेह जताती मेरी माँ,
इस अविश्वासी दुनिया में विश्वास बढ़ाती माँ।
सहनशीलता की सुंदर प्रतीक है मेरी माँ,
अपनत्व से सरोबोर हे मेरी माँ।
संसार के लुप्त होते ज्ञान को सिखाती मेरी माँ,
मुझे सहजता से अपना बनाती मेरी माँ।
जीवन की सच्ची पथ प्रदर्शक है मेरी माँ,
प्रेम के अनमोल बाग की बागवान हे मेरी माँ।
काँटो भरी दुनिया में फूलो सी कोमल हे मेरी माँ,
सरल बनो ह्रदय से यही सिखाती मेरी माँ।
माँ के इस स्वरुप को मेरे भाग्य ने दिलाया,
ममत्व की पराकाष्ठा ने जीवन को पूर्ण बनाया।