मेरी माँ
शीर्षक :- मेरी माँ
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बहुत सरल और भोली -भाली
माँ की तो हर बात निराली ।
पापा जो कहते कर जाती ,
अपनी बुद्धि नहीं लगाती ।
जोर से कोई बात करे तो ,
घबड़ाकर नर्वस हो जाती ।
थक भी गई तो नहीं जताती ,
मुस्कान बिखेर दर्द छुपाती ।
दिनभर सारा काम करे फिर ,
लोरी गाकर मुझे सुलाती ।
करुण भाव की मूरत है वो ,
सब कहते खूबसूरत है वो ।
लक्ष्मी की अवतार मेरी माँ ,
घर में सबकी ज़रूरत है वो ।
पीड़ पराया सदा बाँटती ,
बिन गलती किये क्षमा माँगती ।
नतमस्तक वो तब भी रहती ,
जब दादी माँ , उसे डाँटती ।
हृदय से उनकी करती पूजा ,
माँ होती जैसे अर्दूजा ।
सच ही सब कहते हैं जग में ,
माँ जैसी कोई ना दूजा ।
प्रतिभा स्मृति
दरभंगा (बिहार )