Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2018 · 1 min read

मेरी भोली ”माँ”

कभी वो व्रत करती है, तो कभी अरदास गाती है।
मेरे खातिर न जाने वो, कितने तिकड़म भिड़ाती है।।
वो रह उपवास निर्जला, जीवित्पुत्रिका निभाती है।
मेरी भोली माँ मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

वो उठती चौक कर रातों में, जो करवट बदलता था।
वो सुन लेती मेरी बातें, मैं जब बोला भी न करता था।।
मैं अब जो बोल नही पाता, वो वो भी जान जाती है।
मेरी भोली माँ मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

कुलांचे मारता दिनभर , था माँ बेखौफ आंगन में।
रसोई में भी रहकर थी, तू करती रक्षा अँखियन से।।
मगर जब गिर पड़ता था , धरा पर खा कहीं ठोकर।
तो दें थपकारे भूमि पर , जगाती हौशला छण में।।

सुलभ मन जान न पाता, निर्विघ्न माँ तेरी ममता को।
करे क्यो रार मुझ खातिर, चुनौती दे हर क्षमता को।।
तेरी समता में तुझसे क्यों , सृष्टि फ़ीका बुझाती है।
मेरी भोली माँ मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

करूँ व्याख्यान भी मैं क्या, मैं तो हूँ बस तेरा जाया।
नही ज्ञानी नही ध्यानी , न किसी विज्ञान की माया।।
परे है सोच से उन सबके, माँ के मातृत्व की गाथा।
त्रिदेवों ने भी अनुसुइया, माँ की महिमा को है गाया।।

सरस मन और सरल हृदय, तेरा अवतार अनूठा है।
तेरे बिन विश्व क्या ब्रह्मांड का, रचना भी झूठा है।।
तेरा तो रूप माँ देवतुल्य, जगत गुण जिसका गाती है।
मेरी भोली माँ मुझे अब भी, काला टीका लगाती है।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित ११/११/२०१८)

Language: Hindi
26 Likes · 21 Comments · 631 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छीना झपटी हो रही,
छीना झपटी हो रही,
sushil sarna
10. जिंदगी से इश्क कर
10. जिंदगी से इश्क कर
Rajeev Dutta
दिल सचमुच आनंदी मीर बना।
दिल सचमुच आनंदी मीर बना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
नारी का बदला स्वरूप
नारी का बदला स्वरूप
विजय कुमार अग्रवाल
*अध्याय 8*
*अध्याय 8*
Ravi Prakash
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अक्सर मां-बाप
अक्सर मां-बाप
Indu Singh
..
..
*प्रणय*
3096.*पूर्णिका*
3096.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तोड़ कर खुद को
तोड़ कर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
वह मुझे चाहता बहुत तो था
वह मुझे चाहता बहुत तो था
Shweta Soni
तन मन धन निर्मल रहे, जीवन में रहे उजास
तन मन धन निर्मल रहे, जीवन में रहे उजास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जीवन में...
जीवन में...
ओंकार मिश्र
नारी री पीड़
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
किसी और के आंगन में
किसी और के आंगन में
Chitra Bisht
kavita
kavita
Rambali Mishra
"भोपालपट्टनम"
Dr. Kishan tandon kranti
भटक ना जाना मेरे दोस्त
भटक ना जाना मेरे दोस्त
Mangilal 713
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
नारी
नारी
Dr Archana Gupta
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
VINOD CHAUHAN
सफलता तीन चीजे मांगती है :
सफलता तीन चीजे मांगती है :
GOVIND UIKEY
मुश्किलें
मुश्किलें
Sonam Puneet Dubey
मैं बनारस का बेटा हूँ मैं गुजरात का बेटा हूँ मैं गंगा का बेट
मैं बनारस का बेटा हूँ मैं गुजरात का बेटा हूँ मैं गंगा का बेट
शेखर सिंह
भुला न पाऊँगी तुम्हें....!
भुला न पाऊँगी तुम्हें....!
शिवम "सहज"
न दिल किसी का दुखाना चाहिए
न दिल किसी का दुखाना चाहिए
नूरफातिमा खातून नूरी
*लू के भभूत*
*लू के भभूत*
Santosh kumar Miri
तिरस्कार
तिरस्कार
rubichetanshukla 781
Started day with the voice of nature
Started day with the voice of nature
Ankita Patel
Loading...