मेरी फूट गई तकदीर
मेरी फूट गई तकदीर अब ना कोई बंधावे धीर
रो-रो जिंदगी ने खोऊं मैं रोऊं करतार
नहीं कोई पाप किया नहीं कोई दोष है
नहीं कोई गलती करी सिया निर्दोष है
पूरे किए सभी वसूल नहीं करी कोई भूल
फिर भी रूठे हैं रूठे हैं मेरे करतार
बाली उमर थी मेरी दर-दर की ठोकर खाई
छोड़ दिए माता-पिता भूल गए बहन भाई
आए दुखड़े हजार फिर भी मानी नहीं हार
चाहे किया था किया था जितना लाचार
धूप और गर्मी का दिल में ना ख्याल आया
भूख और प्यास में भी जैसा मिला वैसा खाया
किया कभी ना अभिमान सबको समझा समान
सबका किया था किया था आदर्श सतकार
विधाता के लेख जिसे कोई नहीं जान पाया
बलदेव हिम्मत रख फिर जागै हर की माया
हर का ख्याल हो जरूर कर दे दुख सारे दूर
उनको चिंता है चिंता है वह स्वयं पालनहार