मेरी प्रेम गाथा भाग 12
प्रेम कहानी
भाग 12
सर्दियों की छुट्टियाँ बीत जाने के बाद परी ग्याररहवीं कक्षा की पढ़ाई हेतु नवोदय विद्यालय चली गई थी और मेरा लखनऊ म्यूजिक कॉलेज में फर्स्ट ईयर चल रहा था।परी से दूर रह कर मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा था और मैं बस इसी इंतजार में रहता कि स्कूल की कब छुट्टियाँ हो और परी घर आए और उससे मिलकर ढेर सारी प्यार की बातें हो……..।
इसी बीच विद्यालय में परी की तबीयत पीलिया हो जाने के कारण ज्यादा खराब हो गई थी और वह ईलाज के लिए घर आ गई थी ।शाम को परी की कॉल अाई । आवाज़ सुन कर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि यह परी की आवाज थी क्योंकि मेरी जानकारी अनुसार वह तो स्कूल चली गई थी। लेकिन जब परी ने सब कुछ बताया कि वह बीमार होने के कारण ईलाज के लिए घर आई हुई थी और मुझे यह सब सुनकर बहुत ही दुख हुआ………..।
अगले दिन परी अपने पापा के साथ डाक्टर के पास गई और डॉक्टर ने खून की कमी बताते हुए कहा कि उसे अच्छी तरह से ठीक होने में कुछ समय लगेगा और उसे फल और फलों का जूस वगेरह पिलाइए ताकि रक्त की मात्रा को बढ़ाया जा सके।
घर आते ही परी ने मुझे फोन कर बताया कि डॉक्टर ने मेरे अंदर खून की कमी बताई और मैंने जवाब में हंसते हुए कहा कि अपने पापा से अनुमति ले लो और मुझ से जितना मर्जी खून ले लो।मैंने तो उसे यहाँ तक कह दिया कि परी तुम मुझे प्यार दो मैं तुम्हें खून दूँगा।
पापा दवाई के साथ साथ फल और फलों का जूस ला कर घर पर रख देते थे और इस प्रकार परी की घर पर खूब खातिरदारी हो रही.थी और इधर मेरी फोन कॉल दिन रात चलती रहती थी।अब जब तक परी घर पर रहती मै उसे देखने घर की कॉलोनी में हर रोज जाने लगा था। अब तो परी के घर में मुझे उसके पापा को छोड़ कर सभी जान गए थे। उसकी दीदी के साथ साथ हमारी प्रेम कहानी उसके भाई और मम्मी के संज्ञान में आ गया था। क्योंकि परी ने मेरे बारे में घर पर इतना ही बताया था कि मैं उसका स्कूल अच्छा मित्र था जो बहुत अच्छा गाना गा लेता था।।परी की मम्मी भी जानती थी किवह दिन भर मोबाइल में लगी रहती थीं और वह मुझ से बातें करती थी। लेकिन कभी कुछ कहतु नहीं थी ।
परी की तबीयत अब पूरी तरह से भी ठीक हो चुकी थी और उसने एक दिन कॉल पर कहा कि मैं ऐसा पहला लड़का था जिसने जिस पर इतना विश्वास किया।अन्य लड़कों की भांति मेरा कभी दिल मत तोड़ना अन्यथा उसके लिए खुद को संभालना असंभव हो जाएगा और वह बुरी तरह से टूट जाएगी।
मैंने परी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना और कहा कि परी मैं कभी ऐसा करना तो दूर मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता और वह मेरा प्रथम औरर अंतिम प्यार थी।मैनें रोमांस गीत भी गुनगुना दिया था-
पहला पहला प्यार है, पहली पहली बार है….।
यह सुन कर वह खिड़खड़ा कर हंस पड़ी।
एक दिन मैंने मजाक में बातों ही बातों में परी को कहा कि एक लड़की मुझे बहुत पसंद करती थी।अब मुझे क्या करना चाहिए।परी ने कहा उसके होते हुए मैं किसी के बारे सोच भी नहीं सकता।
उसके बाद परी ने भी मजाक में कहा कि उसे भी कॉलोनी का लड़का पसंद करता था और उसे क्या करना चाहिए…..।
मैंने उसे बहुत प्यारा सा राजनीतिक जवाब देते हुए कहा कि यदि वह लड़का मुझ से ज्यादा प्यार करता हो और वह स्वयं उसके साथ रह कर खुश रह सकती हो तो उसे कोई आपत्ति नहीं।
परी ने हंसकर जवाब दिया दोनोँ में से कोई बात संभव नहीं,तो यह सुन कर मैं मुस्करा दिया।
एक दिन मैंने परी से कहा कि मै उसे उससे ज्यादा प्यार करता था, क्या वह भी ……।
परी ने कहा कि उसे पता था कि मैं उससे बहुत प्यार करते था और उसे यह जानकर गर्व होता था कि कोई था जो उसे उससे से ज्यादा प्यार करता था लेकिन वह मुझ से इतना प्यार नही करती,इससे कहीं ज्यादा तो वह अपने भिई को प्यार करती थी और उसके बाद वह मुझे………।
यह सब सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा कि परी मुझसे बहुत प्यार करती थी ,लेकिन परी की एक बात थी वो कभी भी प्यार दिखाती नहीं थी।उसका प्यार प्रत्यक्ष ना हो कर गौण था।मैंने भी फरी को बता दिया था कि मैं भी उसे माँ के बाद बहुत प्यार करता था।
अब मेरा प्यार परी के प्रति इतना मजबूत और सच्चा हो गया था कि मैंने कभी किसी और लड़की को देखा तक नहीं और मेरे लिए सब कुछ मेरी परी थी….।
स्कूल में सर्दियों की छुट्टी होती थी और परी घर आती थी औ सर्दियों की इन्ही छुट्टियों में महोत्सव भी लगता था ।परी से बात हुई और महोत्सव में आने की तिथि तय हो गई और अगले दिन परी दीदी के साथ महोत्सव में अाई और मै भी अश्वनी भैया के साथ महोत्सव में पहुंचा था और फिर महोत्सव में लगे मेले में खूब घूमने लगे और परी ने मेरे लिए एक पॉकेट लिया और मैंने परी के लिए छोटा सा हैंड पॉकेट लिया और फिर से एक साल बाद बड़े वाला झूला झूलने के लिए तैयार हो गए और खूब झूला झूले और जैसे ही झूला नीचे की तरफ आता तो पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी हम दोनों एक दूसरे को पकड़ कर चिपक जाते जो कि हम दोनों को एक दूसरे का स्पर्श बहुत अच्छा लगता था।हमारे तन बदन में तंरगे उठने लगती और कंपकंपी और बैचेन भी।सांसे भी गर्म और तेज हो रही थी।शायद हम दोनों के मन की मांग थी। इस बार हम दोनों ने कई झूले झूले और ढेर सरी सेल्फी भी ली और अंत में एक आइसक्रीम को हम दोनों बारी बारी से खाते हुए मेले से बाहर आ गए।
परी ऑटो से अाई थी और मै अश्वनी भईया के साथ बाइक से ।लेकिन मैनें वापसी में अश्विनी भैया को अकेले भेज दिया और मै परी और दीदी के साथ ऑटो से परी के कॉलोनी तक उनके साथ गया और वापिस फिर अपने घर गया। शाम को परी कॉल अाई और मेले में हम दोनों द्वारा की मस्ती पर खूब प्रेम भरी चर्चा की।हम दोनो उस क्षण बहुत खुश थे।
छुट्टियाँ खत्म होने के बाद परी मुझ से छुटकारा पा कर पढाई के लिए वापिस विद्यालय चली गई।और मै भी अपने म्यूजिक कॉलेज में संगीत की शिक्षा लेने लखनऊ चला गया ।
कहानी जारी……।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत