मेरी पहली साइकिल
(विश्व साईकिल दिवस)
छठवीं कक्षा में पढ़ता था मैं
मेरी साइकिल आई थी, मामा ने मुझे दिलाई थी
मैंने और मित्र मंडली ने, मुंह मांगी मुरादें में पाईं थीं
पहले एक पैर पैडल पर, एक जमीन पर होता था
फिर दोनों पैडल पर आया,सीट जरा ऊंची थी
कई बार गिरा सीखने में, फिर उठकर दौड़ लगाता था
दोस्तों के संग रेस में, मीलों साइकिल दौड़ाता था
कुछ दिन में सीट पर आया, दिनभर फर्राटे भरता था
खाने पीने का होश ना रहता,
दिनभर साइकिल पर रहता था
साइकिल जैसी नहीं सवारी, विन ईंधन के चलती थी
फिट रखती शरीर को, घर के काम सभी करती थी
आगे जब दुनिया में, ईंधन की दिक्कत आएगी
साईकिल दुनिया की लोकप्रिय सवारी, काम बहुत आएगी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी