मेरी ध्वनि
■अरविन्द श्रीवास्तव
इस सूनेपन में
असंख्य यादें और
अहसासों की सिलवटों के बीच
तुम्हारी फुसफुसाती चुप्पी !
ओह, लौट आती है मेरी ध्वनि
बगैर किसी
आत्मा को स्पर्श किये !
■अरविन्द श्रीवास्तव
इस सूनेपन में
असंख्य यादें और
अहसासों की सिलवटों के बीच
तुम्हारी फुसफुसाती चुप्पी !
ओह, लौट आती है मेरी ध्वनि
बगैर किसी
आत्मा को स्पर्श किये !